कला और शिल्प के माध्यम से बदली जा सकती है शिक्षण व्यवस्था डॉ.सुभद्रा।
चंदौली।पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर कला समेकित शिक्षणक्षास्त्र प्रतियोगिता हेतु जनपद चन्दौली को प्रतिनिधित्व करते हुए जीजीआईसी सैयदराजा की अध्यापिका डॉ. सुभद्रा कुमारी ने अपनी बात प्रदेश सरकार के समक्ष रखते हुए कहा कि कला के माध्यम से शिक्षण व्यवस्था में बदलाव किया जा सकता है।संगीत हो या कला दोनों के माध्यम से बच्चों को शिक्षण दिया जा सकता है यहां तक कि संस्कृत विषय को भी आसानी से समझाया जा सकता है।वैदिक काल में भी शिक्षण की व्यवस्था इसी प्रकार की थी।उन्होंने चन्दौली का पक्ष रखते हुए डॉ.सुभद्रा ने कहा कि पिछले 10 सालों से जीजीआईसी सैयदराजा चन्दौली में उनकी शिक्षण तकनीक से बच्चियां संस्कृत को सीख रही है । अब बच्चियां संस्कृत भाषा में स्टेज परफॉर्मेंस दे रही हैं।लेकिन इस कार्य में विद्यालय की मौजूदा प्रधानाचार्या डॉ. प्रतिभा गोस्वामी को पूरा मार्गदर्शन मिलता रहता है। विदित हो कि उत्तर प्रदेश के 75 जिले के प्रतिभागी कला के माध्यम शिक्षण में क्या बदलाव किए जा सकते उस अपना मत Alarm को दे रहे थे।