October 24, 2025 08:22:16

AIN Bharat

Hindi news,Latest News In Hindi, Breaking News Headlines Today ,हिंदी समाचार,AIN Bharat

गांजा तस्करों का नक्सली कनेक्शन गांजा के कारोबार का कॉरिडोर बना ओडिशा यहां के गांजा की पूरे देश में हो रही सप्लाई

1 min read

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female”]

[URIS id=18422]

गांजा तस्करों का नक्सली कनेक्शन: गांजा के कारोबार का कॉरिडोर बना ओडिशा, यहां के गांजा की पूरे देश में हो रही सप्लाई

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले से लगे उड़ीसा के मलकानगिरी जिले से हर साल अरबों रुपये का गांजा उत्तर प्रदेश सहित 17 राज्यों में भेजने के बाद नेपाल और पकिस्तान जैसे देशों को भेजा जा रहा है. देश के एक बड़े हिस्से में फैल चुकी नक्सलवाद की आग को इन रुपयों से हवा मिल रही है और नक्सलवादी इन रुपयों से गोला,बारूद,हथियार और भारत की बर्बादी का सामान खरीद कर हिंसा की आग में झोंक रहे हैं।

नक्सलियों के अवैध धन उगाही के नेटवर्क ध्वस्त होने के बाद अब नारकोटिक्स नेटवर्क पर डीआरआई कस रहा है शिकंजा

ओडिशा,छत्तीसगढ़,झारखंड सहित कई राज्यों में सीआरपीएफ फोर्स की दखल बढ़ाने से नक्सलियों की लेवी वसूली पर भी काफी हद तक रोक लग गई है। अब नक्सलियों के दूसरे सबसे बड़े आर्थिक स्रोत गांजा की सप्लाई चेन भी तोड़ने की कवायद में राज्यों की मदद से केंद्र सरकार जुट गई है। इसके लिए ओडिशा से लगी सीमा पर सख्ती बढ़ा दी गई है। इसका असर भी दिखने लगा है।छत्तीसगढ़ में करीब 37 हजार किलो से ज्यादा गांजा जब्त किया गया है।
पुलिस अफसरों के अनुसार अकेले बस्तर में करीब 8,890 किलो गांजा जब्त किया गया है, जबकि ओडिशा के सीमावर्ती जिलों में बरामद गांजा का आंकड़ा इसमें शामिल कर लें तो यह मात्रा करीब 20 हजार किलो तक पहुंच जाती है। अफसरों के अनुसार इससे पहले एक वर्ष में इतने बड़े पैमाने पर गांजा की जब्ती नहीं हुई थी।
ओडिसा,छत्तीसगढ़ में 2020 के बाद गांजा तस्करी के बहुत ज्यादा मामले एकाएक सामने आने लगे। केंद्र सरकार ने इसके पीछे की वजह का पता लगाया तो कई प्रमुख कारण पता चला है।

‘ओडिशा,झारखंड,छत्तीसगढ़ गांजा तस्करी का कॉरिडोर’

डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) के अनुसंधान में इसका खुलासा होने के बाद सुरक्षा खुफिया एजेंसियां भी सकते में हैं। सूत्रों के मुताबिक नक्सलियों का बड़ा नेटवर्क गांजा की स्मगलिंग में लगा है। खासकर ओडिशा को गांजा स्मगलिंग का बड़ा केंद्र बना कर अन्य जगहों तक सप्लाई की जा रही है। अफसरों ने बताया कैसे ओडिशा से झारखंड,छत्तीसगढ़ होते हुए पूरे देश में गांजा तस्करी की जा रही है। प्रदेश से लगभग कटा हुआ हिस्सा है मलकानगिरी की पहाड़ी। यह क्षेत्र ओडिशा में आता है। इस पहाड़ी से छत्तीसगढ़, ओडिशा व आंध्रप्रदेश की सीमा जुड़ी हुई है। गांजे का कारोबार यहीं से हो रहा है।

ओडिशा,झारखंड, छतीसगढ़ और आंध्रप्रदेश से हर साल 1000 करोड़ से अधिक कीमत का गांजा देश के 17 से अधिक राज्यों में पहुंचता है। इन 17 राज्यों में जो गांजा सप्लाई होता है, उसका मुख्य रास्ता छत्तीसगढ़ के बस्तर, महासमुंद और रायगढ़ से होकर गुजरता है। इन्हीं तीन जिलों के अलग-अलग रास्तों से तस्कर गांजे की खेप अलग-अलग राज्यों में लेकर जाते हैं।

सबसे ज्यादा गांजा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दमन-दीव, हिमाचल प्रदेश, आंधप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर में भेजा जाता है। करोड़ों रुपए के इस नशे के कारोबार में कोई एक व्यक्ति या गैंग नहीं, बल्कि ओडिशा और आंध्र के कई गांव के गांव शामिल हैं।

गांजे की खेती से लेकर देशभर के अलग-अलग राज्यों के तस्करों तक गांजा पहुंचाने के लिए यहां के लोग बाहर नहीं जाते हैं, बल्कि गांव में ही रहकर पूरे काम को संचालित करते हैं। बाकी राज्यों से तस्कर इन लोगों से संपर्क करते हैं और फिर खेप लेने के लिए खुद या किसी बिचौलिए को लेकर पहुंचते हैं।

गांजा तस्करों में ओडिशा के गांजे की सर्वाधिक मांग

200 करोड़ रुपए से ज्यादा का 146 क्विंटल गांजा पिछले साल इन्हीं जिलों से पकड़ा गया था।ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी, गंजाम, भवानीपटना, मुन्नीमुड़ा, नवरंगपुर, कोरापुट जिले के व्यापारीगुड़ा, आंध्र-ओडिशा बॉर्डर और मलकानगिरी में होती है गांजे की खेती

गांजा लोड होने से पहले ही ले ली जाती है गाड़ी

गांजा तस्करी में पकड़े गए लोगों को पता ही नहीं होता कि उनकी गाड़ी में गांजा किस इलाके से लोड किया गया है। तस्कर इसके लिए ऐसी जगह का प्रयोग करते हैं, जहां या तो ढ़ाबा हो या फिर कोई चाय-नाश्ते की गुमटियां, जहां बड़ी संख्या में गाड़ियां रुकती हों। यहां जब अन्य राज्यों के तस्कर गाड़ी लेकर पहुंचते हैं तो स्थानीय युवक ड्राइवर से गाड़ी लेकर चले जाते हैं और गांजा लोडकर वापस उसी स्थान पर छोड़ देते हैं।

ड्राइवर को बकायदा समय बताया जाता है कि इतने देर में गाड़ी वापस मिल जाएगी। यही कारण है कि गांजे के साथ पकड़ने वाले अधिकांश ड्राइवर या हेल्पर को पता ही नहीं होता कि गांजे की खेप गाड़ी में कहां ले जाकर लोड की गई है।

पुलिस ने स्वीकारा- ओडिशा से निकलने वाले गांजे का 15% ही पकड़ पाते हैं

देश के 17 राज्यों की पहली पसंद ओडिशा का गांजा है। महासमुंद, बस्तर और रायगढ़ पुलिस ने साल 2020 में 146 क्विंटल गांजा पकड़ा। इस दौरान तस्करों ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि वे ओडिशा से गांजा लेकर आ रहे हैं। जानकारी के अनुसार ओडिशा में पहले गांजे की खेती कोरापुट जिले के व्यापारीगुड़ा, आंध्र ओड़िशा बार्डर और मलकानगिरी में होती थी।

पिछले कुछ समय में ओडिशा के गांजे की मांग बढ़ी और करीब देश के 17 राज्यों के गांजा तस्कर यहां गांजा लेने आने लगे। इसके बाद बढ़ती मांग को देखते हुए अब ओडिशा के ही नवरंगपुर जिले में इसकी खेती की शुरूआत हुई है। इसके साथ ही कंधमाल, कालाहांडी, गंजाम, भवानीपट्नम, मुन्नीमुड़ा, में भी खेती शुरू हो गई। ओडिशा के इन इलाकों से ही हर साल 550 करोड़ रुपए से अधिक का गांजा देशभर में जा रहा है।

ओडिशा-आंध्रप्रदेश के इन इलाकों में होती है गांजे की खेती

डीआरआई (राजस्व खुफिया निदेशालय) की पड़ताल में गांजे की खेती में जो इलाके सामने आए हैं, उसके अनुसार ओडिशा के कंधमाल, कालाहांडी, गंजाम, भवानीपटना, मन्नामुड़ा, नवरंगपुर, मलकानगिरी, कोरापुट जिले के व्यापारीगुड़ा और आंध्रप्रदेश के अंदरूनी इलाके में गांजा की खेती की जाती है। बस्तर और महासमुंद में अब तक जो बातें सामने आई है, उसके अनुसार करोड़ों रुपए के इस कारोबार का कोई सरगना नहीं है। खेती से लेकर इसकी सप्लाई तक के लिए लोकल लोगों का ही सहयोग लिया जाता है।

पहाड़ से नीचे लाने एक ट्रिप का चार हजार

गांजा ऊपर पहाड़ियों पर होता है। एक बोरी में 20 किलो गांजा भरा जाता है। इसे नीचे लाने के लिए एक युवक को 4 हजार रुपए दिए जाते हैं। पहाड़ी से नीचे आने के लिए करीब 25 किमी का पहाड़ी रास्ता तय करना पड़ता है। एक बार में 15 से 20 युवकों की टोली निकलती है। ये सारा काम रात के अंधेरे में होता है।

1700 में खरीदकर बेचते हैं 6000 तक

तस्करों से मीडियाकर्मियों ने बात की तो ज्यादा माल खरीदने के एवज में 1700 रुपए किलो गांजा का दाम तय हुआ। यही गांजा शहरों तक पहुंचकर तकरीबन 6 हजार रुपए किलो हो जाता है। 1700 रुपए में परिवहन का खर्चा शामिल नहीं है। इसमें नक्सलियों और पुलिस का हिस्सा शामिल है। नक्सलियों को पैसा एडवांस में पहुंचता है।

गांजे की खेती से लेकर सप्लाई तक का पूरा काम 3 चरणों में पूरा होता है

1.पहले चरण में ग्रामीण गांजे की खेती करते हैं।

2.गांव के ही कुछ युवक खेती करने वाले लोगों से खरीदते हैं और गांव में ही रखते हैं।

3.तीसरे चरण में सप्लाई का काम होता है।

आंकड़े चौंकाने वाले

30 हजार एकड़ में हो रही गांजे की खेती। नक्सली करा रहे खेती

तीन सौ करोड़ रु. का कारोबार सिर्फ एक सीजन में। दो हजार रु. किलो तक जंगल के अंदर बेचा जा रहा

नक्सली एडवांस लेते हैं, पुलिस ट्रिप के हिसाब से

गांजे में मोल्टी के साथ सामिली, तामिली, चिंगलपोली, पिरामल जैसी वैरायटी उगाई जाती है।

नशे के लिए देश में गांजा दूसरे नंबर की पसंद

इधर, नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट (एनडीटीटी) एम्स की रिपोर्ट के अनुसार देश में जितनी आबादी नशा करती है उनमें नशे के लिए उपयोग में लाये जाने वाले नशीले पदार्थ में शराब नंबर वन पर है तो गांजा दूसरे नंबर पर है। एनडीटीटी की मानें तो देश की करीब 20 प्रतिशत आबादी अलग-अलग प्रकार का नशा करती है। जानें कौन-सा नशा कितनी प्रतिशत आबादी करती है।

नमस्कार,AIN Bharat में आपका स्वागत है,यहाँ आपको हमेसा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 7607610210,7571066667,9415564594 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें