September 13, 2025 21:58:10

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सहूलियत नहीं, जिम्मेदारी है सिजेरियन डिलीवरी : डॉ. सिदरा खांनम 

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सहूलियत नहीं, जिम्मेदारी है सिजेरियन डिलीवरी : डॉ. सिदरा खांनम

 

शंकरगढ़(प्रयागराज) बदलती जीवनशैली और चिकित्सकीय सुविधाओं के सक्षम नहीं रह गई हैं । यही कारण है कि सामान्य डिलीवरी विस्तार के साथ बीते वर्षों में सिजेरियन डिलीवरी (सी सेक्शन) के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है । चन्द्रा नर्सिंग होम एवं श्री कृष्णा अल्ट्रासाउंड सेंटर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सिदरा खांनम का मानना है कि यह बढ़ोत्तरी केवल सुविधा की दृष्टि से नहीं, बल्कि चिकित्सकीय जरूरतों के कारण भी हो रही है, लेकिन इस प्रवृत्ति पर गहराई से विचार किए जाने की आवश्यकता है । डॉ. सिदरा खांनम ने कहा कि सी-सेक्शन की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह एक पूर्व नियोजित प्रक्रिया होती है । यानी, डिलीवरी की तिथि और समय पहले से तय किया जा सकता है । कई महिलाएं लेबर पेन से बचने की इच्छा के कारण इसे सहज विकल्प मानती हैं । साथ ही, कुछ मामलों में यह प्रक्रिया चिकित्सा की दृष्टि से आवश्यक भी हो जाती है, जैसे-शिशु की उलटी स्थिति (ब्रीच), प्लेसेंटा से संबंधित जटिलताएं, या फिर मां को हृदय रोग, उच्च रक्तचाप अथवा अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होना । डॉ. सिदरा खांनम कहा कि आजकल महिलाओं में शारीरिक श्रम और सक्रियता की कमी के कारण उनकी मांसपेशियां सामान्य प्रसव के लिए उतनी की संभावना कम होती जा रही है, और सिजेरियन डिलीवरी की आवश्यकता अधिक हो रही है । इसके बावजूद, वे स्पष्ट करती हैं कि यह कोई ‘आसान विकल्प’ नहीं है । उनके अनुसार, सी-सेक्शन एक प्रमुख शल्य क्रिया (मेजर सर्जरी) है । इसमें संक्रमण, अत्यधिक रक्तस्राव, जटिलताओं का जोखिम तथा लंबी रिकवरी जैसी समस्याएं जुड़ी होती हैं । इस प्रक्रिया के बाद महिला को आराम की अधिक आवश्यकता होती है और उसके स्वास्थ्य की देखभाल भी विशेष रूप से की जानी चाहिए । डॉ. सिदरा खांनम ने कहा कि जब तक किसी चिकित्सकीय स्थिति में ऐसा करना अनिवार्य न हो, तब तक सामान्य प्रसव को ही प्राथमिकता दी जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि हर महिला को सिजेरियन डिलीवरी से पहले अपने डॉक्टर से विस्तार में चर्चा करनी चाहिए । यह बातचीत सिर्फ ऑपरेशन की तिथि तय करने की नहीं, बल्कि सभी संभावित जोखिम, लाभऔर वैकल्पिक विकल्पों की स्पष्ट समझ पर आधारित होनी चाहिए । उन्होंने कहा कि ‘सिजेरियन सुविधा का प्रतीक नहीं, चिकित्सा की जम्मेिदारी है । इसका चयन सोच – समझकर ही किया जाना चाहिए ।

 

AiN भारत News संवाददाता विनीत द्विवेदी शंकरगढ़ प्रयागराज

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