बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा
बड़े भाग मानुष तन पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा।
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा, पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥
संगम/48लाख योनि में केवल मनुष्य जीवन को ही बड़े भाग्य मानुष तन पावा कहा गया क्योंकि मानव तन की दिव्यता भव्यता ए है की इस तन के द्वारा हम अपनी सांस्कृतिक व आध्यात्मिक चेतना को जागृत कर सकते है और परम् पिता परमात्मा के दिए निर्देश का पालन कर सकते हैं, आज उसी मानव तन की सफलता के लिए तीर्थ राज प्रयाग में दिव्य अमृत महाकुंभ का आयोजन प्रारंभ हुआ है सनातन धर्म के अनुसार, जीवन केवल भौतिक सुखों के लिए नहीं है, बल्कि आत्मा के शुद्धीकरण और जीवन को उच्चतम आदर्शों पर जीने के लिए है। कुंभ मेले में श्रद्धालु कल्पवास कर इस भाव को जाग्रत करते हैं और जीते हैं। कुंभ मेला सिखाता है कि हर व्यक्ति में समान दिव्यता और परमतत्व का समावेश है, फिर चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या समुदाय से हों।
कुंभ मेला समाज में प्रेम, एकता, भाईचारा और रिश्तों के दिव्य संबंध का उदाहरण भी है। यहां लोग अपनी सभी भौतिक चिंताओं को त्यागकर आत्मा के उत्थान और मानवता की सेवा के लिए आते हैं। कुंभ मेला सिखाता है कि अगर हम समाज के हर व्यक्ति से प्रेम और सम्मान नहीं करेंगे तो हमारी संस्कृति व आस्थाएं अधूरी रहेंगी।
